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मगर खाना सिर्फ मैंने खाया
सुन
तेरे बाद भी चटाई बिछाई मैंने
दस्तरख़ान लगाया..
तेरी प्लेट में खीरे रखे
तेरे लिए मूली गोश्त बनाया..
मगर खाना सिर्फ मैंने खाया।।
तू मुझे याद तो बहोत आया
मेरे दिल न तुझे बुलाना भी चाहा..
मगर खाना सिर्फ मैंने खाया।।
तेरा उठना दस्तरखान से
तेरा उठ कर फिर मुझको दुआ देना..
मुझे हर वो लम्हा याद आया
देख मेने खाना आज तन्हा खाया..
मेरे हाथों से ले कर ग्लास पानी का
था पानी जो तूने मुझको पिलाया..
मुझे वो लम्हा याद आया
तेरे नाम का मैंने दस्तरख़ान लगाया..
मगर खाना सिर्फ मैंने खाया।।
तू लौट आयेगा तू लोट आया..
यही सोच कर मैंने हर लम्हा बिताया..
तेरे जाने का ग़म नहीं मुझे
तेरे लोटने का इंतजार भी नहीं..
पर फिर मेने आज चटाई बिछाई
दस्तरख़ान लागाया..
तेरी प्लेट में खीरे रखे
मूली गोश्त बनाया..
और आज भी खाना सिर्फ मैंने खाया।।
😊
@everyone
© K_khan_lines ..KK.. ✍
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