अंधेरी रात और मैं
सफर एक अंजान रात में ,
मैंने लोगो को रात के अंधेरे में ,नींद के आगोश में जाते देखा ,
किसी को खुशी से झूलते देखा ,
तो किसी को ,निशा के, निराशा को ताकते देखा ,
हां! ,,,,,,,,,,,,,,
मैंने रात के अंधेरे में किसी को अपना अस्तित्व खोते देखा है ।
वो सफर जो कभी खत्म ही नहीं होता,
निरंतर बढ़ती हुई चाल,
झरोखों से उड़ते हुए बाल ,
सुंदरता पर लगाते काजल ,जो ...
मैंने लोगो को रात के अंधेरे में ,नींद के आगोश में जाते देखा ,
किसी को खुशी से झूलते देखा ,
तो किसी को ,निशा के, निराशा को ताकते देखा ,
हां! ,,,,,,,,,,,,,,
मैंने रात के अंधेरे में किसी को अपना अस्तित्व खोते देखा है ।
वो सफर जो कभी खत्म ही नहीं होता,
निरंतर बढ़ती हुई चाल,
झरोखों से उड़ते हुए बाल ,
सुंदरता पर लगाते काजल ,जो ...