नारी तुम केवल भावना हो
कोई तुम्हे गंगाजल सा पवित्र समझता है, कोई तुम्हे शराब की बोतल कहता है,
कोई तुम्हे सागर से गहरा समझता है, कोई तुम्हे
आकाश में बैठा चंद्रमा कहता है,
किसी के लिए तुम मासूम हो, कोई तुम्हे कुंतल जाल कहता है,
किसी के लिए तुम प्रेम की परिकाष्ठा हो, तो कोई तुम्हे माया कहता है,
पर हे नारी तुम इनमें से कुछ भी नहीं...
कोई तुम्हे सागर से गहरा समझता है, कोई तुम्हे
आकाश में बैठा चंद्रमा कहता है,
किसी के लिए तुम मासूम हो, कोई तुम्हे कुंतल जाल कहता है,
किसी के लिए तुम प्रेम की परिकाष्ठा हो, तो कोई तुम्हे माया कहता है,
पर हे नारी तुम इनमें से कुछ भी नहीं...