क़ामयाबी का सफर
#WritcoPoemPrompt42
सपनों की उड़ान हो, या हो मेहनत की कहानी,
हर मोड़ पर इंतज़ार करती है क़ामयाबी रानी।
रातों की जागी आँखें, और दिन का संघर्ष,
जो कभी नहीं रुके, वो पा लेता है स्वर्ण।
हौंसलों की पतवार हो, उम्मीद की नाव,
डर को पीछे छोड़, तू कर आगे बढ़ने का चाव।
राह कठिन हो चाहे, कदम न डगमगाए,
जो सच में चाहे, उसे मंज़िल मिल ही जाए।
मंज़िल से पहले ठहरना, तुझे मंज़ूर नहीं,
हर मुश्किल को पार कर, बन तू अपनी खुद की रौशनी।
रुकावटें आएंगी हज़ार, घबराना तू नहीं,
क़ामयाबी का ताज, सजेगा एक दिन यही।
धूप की किरण हो या हो छांव का सफर,
जो मेहनत से जुड़े, उसे मिलेगा मुक़द्दर।
क़ामयाबी तेरे दरवाजे पर दस्तक देगी,
बस खुद पर यक़ीन रख, तू सबसे आगे बढ़ेगी।
— हितेन बिस्वाल
#success #hitenbiswal #writeco #motivationalpoetry
Feel free to share your thoughts!
© Hiten Biswal
सपनों की उड़ान हो, या हो मेहनत की कहानी,
हर मोड़ पर इंतज़ार करती है क़ामयाबी रानी।
रातों की जागी आँखें, और दिन का संघर्ष,
जो कभी नहीं रुके, वो पा लेता है स्वर्ण।
हौंसलों की पतवार हो, उम्मीद की नाव,
डर को पीछे छोड़, तू कर आगे बढ़ने का चाव।
राह कठिन हो चाहे, कदम न डगमगाए,
जो सच में चाहे, उसे मंज़िल मिल ही जाए।
मंज़िल से पहले ठहरना, तुझे मंज़ूर नहीं,
हर मुश्किल को पार कर, बन तू अपनी खुद की रौशनी।
रुकावटें आएंगी हज़ार, घबराना तू नहीं,
क़ामयाबी का ताज, सजेगा एक दिन यही।
धूप की किरण हो या हो छांव का सफर,
जो मेहनत से जुड़े, उसे मिलेगा मुक़द्दर।
क़ामयाबी तेरे दरवाजे पर दस्तक देगी,
बस खुद पर यक़ीन रख, तू सबसे आगे बढ़ेगी।
— हितेन बिस्वाल
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© Hiten Biswal