...

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दिल
सोच सोचकर आने वाले कल कि बातें,
संजोने लगा है नादान दिल अपनी रातें,

कि करके श्रृंगार वो सजने लगा है,
एहसास के दामन में करवट लेने लगा है,

अजब सी लाली है हया की, अजब सा हाल,
हुए क्यों जा रहे बावरे, नैना करे सवाल,

बेताब दिल में उठती हुक पिया संग "मिलन" की,
समंदर में हो छवि जैसे उठते "सारा" की,

ये इश्क की राहें और इनके अनगिनत मोड़,
तड़पता रहे जिगर फ़िर भी मरने की जैसे होड़।
© khwab