प्रेम के दिन
"मैं" बांट लेता प्यार,
हो जब व्यर्थ की तकरार।
थी छोटी जिंदगानी,
बचपन बीता,आया बुढ़ापा गई जवानी।
छोड़ देनी हिदायत,
भूल "शिकवे शिक़ायत"।
है रोज़ प्रेम के दिन,
मत कर कभी एक दूजे से मन को खिन्न।
...
हो जब व्यर्थ की तकरार।
थी छोटी जिंदगानी,
बचपन बीता,आया बुढ़ापा गई जवानी।
छोड़ देनी हिदायत,
भूल "शिकवे शिक़ायत"।
है रोज़ प्रेम के दिन,
मत कर कभी एक दूजे से मन को खिन्न।
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