चाँद
आसमां की मुंडेर पर आकर
कभी आधा तो कभी पुरा
खिलता है चाँद..!
फिके और उदास मन में
चमकीला रंग
भरता है चाँद...!
छत पर आकर मेरे
रोज़ लुका छिपी
खेलता है चाँद..!
गांव की गली_गली में
शहर के नुक्कड़...
कभी आधा तो कभी पुरा
खिलता है चाँद..!
फिके और उदास मन में
चमकीला रंग
भरता है चाँद...!
छत पर आकर मेरे
रोज़ लुका छिपी
खेलता है चाँद..!
गांव की गली_गली में
शहर के नुक्कड़...