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सर्जिकल स्ट्राइक
रौद्र रूप देख थर्रायी है,धरती पाकिस्तान की ।
कफ़न बाँध कर रण में उतरी,मिट्टी हिन्दुस्तान की ।

छेड़ रहे थे सिंहों को,थी चर्चा स्वाभिमान की ।
बालाकोट में गरज रही हैं,मूँछे हिंदुस्तान की ।

छेड़ रहे हो छेड़ो पर तुम,अपनी जद को भूलो ना ।
ज्वाला बनकर धधक जाएगी,चिंगारी से खेलो ना ।

नींद कहाँ से आती हमको,पुलवामा के शोर में ।
इसीलिए तो तड़के उठकर,मचल पड़े हम भोर में ।

निकल पड़े रणबीच दीवाने,मिटने को बेताब हुए ।
अंधियारों में चेहरे चमके,जैसे वो महताब हुए ।

लश्कर हिज़बुल जैसों को,औक़ात बताने आए हैं ।
मोदी जी के सिने का,सौग़ात बताने आए हैं ।

इन सिंहों को रोक सको,ये तेरे बस की बात नहीं ।
इनको क़ाबू करना तेरी,इतनी भी औक़ात नहीं ।

✍🏻धीरेन्द्र पांचाल

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