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होली गीत (फाग )
शीर्षक : राधे लगवा लो थोरी

दोहा :- बनी काठ की घोर चिता , बैठे पुण्य पाप दोई साथ |
पाप रूपी होलिका जरी , पुण्य रूप प्रह्लाद बांटे प्रसाद सब हाथ ||

वासुदेव के लल्ला खेल रहे , व्रजराज की नगरी मे होरी |
रंग नीलों-पिलो गुलाबी ले आयो , राधे लगवा लो थोरी |

व्रजराज किशोरी लुक छुप भागे, लल्ला मार रहओ भर भर पिचकारी |
रंग नीलों-पिलो गुलाबी ले आयो , राधे लगवा लो थोरी |

कान्हा मत छेड़ो हमको , हम व्रज की राजदुलारी |
रंग नीलों-पिलो गुलाबी ले आयो , राधे लगवा लो थोरी |

हमरी चुनर स्वेत रंग वारी , रंग जाएगी कान्हा सारी |
रंग नीलों-पिलो गुलाबी ले आयो , राधे लगवा लो थोरी |

चाहे दोनों कपोल में गुलाल लगा लो , पर करो ना जोरा जोरी |
रंग नीलों-पिलो गुलाबी ले आयो , राधे लगवा लो थोरी |

म्हारों गोरों रंग न पड़ जाए कारों , हम है हा बहुत सुकुमारी |
रंग नीलों-पिलो गुलाबी ले आयो , राधे लगवा लो थोरी |

श्याम रंग मोहि प्यरों बहुत ही , कान्हा श्याम रंग लगा लो थोरी |
रंग नीलों-पिलो गुलाबी ले आयो , राधे लगवा लो थोरी |

नीरज मिश्रा " नीर " ✍️
बरही , कटनी (मध्य प्रदेश )

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© -Pandit Neeraj Mishra ✍️