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अब समझ नहीं आता तुझे क्या लिखूं ।।
एक उलझा सा सवाल या
फिर तुझे एक जवाब लिखूं ।।
तेरी इन कठिनाइयों को देखकर,
खुद को नाकामयाब ख्वाब लिखूं ।।
बहुत उलझाकर रख दिया तूने ये जिंदगी,
अब समझ नहीं आता तुझे क्या लिखूं ।।
मेरी ये नकाम कोशिशें या फिर ,
तेरी कामयाबी का एक हिसाब लिखूं ।।
तेरी वक्त बेवक्त की इन कहानियों का
क्यों न तुझपे मैं एक किताब लिखूं ।।
बहुत उलझाकर रख दिया तूने ये जिंदगी,
अब समझ नहीं आता तुझे क्या लिखूं ।।
© Namrata Mahato
फिर तुझे एक जवाब लिखूं ।।
तेरी इन कठिनाइयों को देखकर,
खुद को नाकामयाब ख्वाब लिखूं ।।
बहुत उलझाकर रख दिया तूने ये जिंदगी,
अब समझ नहीं आता तुझे क्या लिखूं ।।
मेरी ये नकाम कोशिशें या फिर ,
तेरी कामयाबी का एक हिसाब लिखूं ।।
तेरी वक्त बेवक्त की इन कहानियों का
क्यों न तुझपे मैं एक किताब लिखूं ।।
बहुत उलझाकर रख दिया तूने ये जिंदगी,
अब समझ नहीं आता तुझे क्या लिखूं ।।
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