आज की मोहब्बत
मोहब्बत कुछ ऐसी है आज
लगता है रोज किरदार बदलते हैं ,
कभी इन हाथों संभलते तो ,
कभी उन हाथों से फिसलते हैं ,
देख दूसरों को भी शायद लोग ,
दिल लगाने की होड मे मचलते हैं
शर्म का तकल्लुफ...
लगता है रोज किरदार बदलते हैं ,
कभी इन हाथों संभलते तो ,
कभी उन हाथों से फिसलते हैं ,
देख दूसरों को भी शायद लोग ,
दिल लगाने की होड मे मचलते हैं
शर्म का तकल्लुफ...