...

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भारतीय योद्धा
देश के वीरों को मैं सलाम करती‌ हूं,
आपके बलिदान को दिल से प्रणाम करती हूं।

आपके समकक्ष अपना पैगाम लिखती हूं।
योद्धा कि आवाज लिखती हूं।

जब जब देश पर आया कोई विकराल
मैंने कर दिया जीवन बलिदान।।

मैंने घर छोड़ा, मैंने आपना कल छोङा
देश कि रक्षा कि खातिर जीना छोड़ा।।

बचपन में फौजी को देखा था ,
खेल खेल में मैंने भी जिंदगी तेरे नाम करने को सोचा था।

हर लघु का हिसाब लूंगा,
घर से जब निकलूगा एक मां का आशिर्वाद से एक मां कि रक्षा के लिए सब छोड़ कमान ले निकलूगा।।।

तेरी मुस्कान के सहारे घर से निकला था,
सीमा कि रक्षा के लिए सब कुछ सहना था।

जाते हुए सब ने बहुत रोया था, मैंने तो अपनी मां जननी के लिए सब कुछ खोकर सैनिक बनकर जीना था।

तूने भी जाते हुए मेरे गले लगकर खुब रोया था,
दर्द से भरा तेरा दिल मुझसे फिर वापस लौटने के लिए एक बार फिर पूछा था।।

दर्द बहुत था मेरे दिल में भी, लेकिन भारतीय लाल बनकर मुझे अपने देश के दुश्मनो से बदला लेना था।।

आ निकला हूं अपने बचपन कि यादें छोड़कर,
जो देखा था सपना उसी को पूर्ण करने, बिखरे फूल को चमन करने, मां जननी कि रक्षा करने।।।

प्रण जो लिया है पूरा करुंगा,
मां भारतीय के लिए जान भी दे दूंगा।।

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