24 views
में और मेरे सपने
जल रहा हूं अंदर से,
सुलग रहा हूं
दबे हुए जज्बात उमड़ पड़ते हैं
कभी कभी
सपनो को दफन कर दिया हूं कब से।
दुनिया में दुनियादारी की होड़ मची है,
सहम जाता हूं कभी कभी,
भीड़ में भी मिलूंगा अकेला
पास होकर भी अपने सभी।
हाल कुछ बन गया है, या फिर बना दिया
सोच रहा हूं,
जो मिला, वही अपना कर्म,
जो देखे सपने, वो सारे भ्रम!
लड़ता रहूंगा जब तक जीत नहीं जाता,
अपने बीते हुए कल को हरा नहीं देता।
© Dr. JPR
सुलग रहा हूं
दबे हुए जज्बात उमड़ पड़ते हैं
कभी कभी
सपनो को दफन कर दिया हूं कब से।
दुनिया में दुनियादारी की होड़ मची है,
सहम जाता हूं कभी कभी,
भीड़ में भी मिलूंगा अकेला
पास होकर भी अपने सभी।
हाल कुछ बन गया है, या फिर बना दिया
सोच रहा हूं,
जो मिला, वही अपना कर्म,
जो देखे सपने, वो सारे भ्रम!
लड़ता रहूंगा जब तक जीत नहीं जाता,
अपने बीते हुए कल को हरा नहीं देता।
© Dr. JPR
Related Stories
53 Likes
16
Comments
53 Likes
16
Comments