हिम कणों की यात्रा
सिकुड़ कर ठोस बन जाते हैँ
जब जल के कण,
आसमां उनका बोझ
ना सह पाता हैँ,
ना रोकता कोई उन्हें
जहाँ पे बने थे,
बेबस हो कर ही धरा
पे आते हैँ |
कह के अलविदा नीले फलक को
बादलों को देखते करुण नैन से
एक आस की निगाह से देखते सभी को
काश थाम लेता कोई...
जब जल के कण,
आसमां उनका बोझ
ना सह पाता हैँ,
ना रोकता कोई उन्हें
जहाँ पे बने थे,
बेबस हो कर ही धरा
पे आते हैँ |
कह के अलविदा नीले फलक को
बादलों को देखते करुण नैन से
एक आस की निगाह से देखते सभी को
काश थाम लेता कोई...