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अब इंतजार नहीं है
ना जाने कितने दिनों
कितने बरस का बोझ
सिर से उतर गया
साहस करके दो शब्द कहे
तबीयत संभालने के लिए
कुसूर अभी तक हमारा
समझ ही ना आया
तुमसे प्यार क्यों हुआ था
दिल बिल्कुल समझ ना पाया
तुम्हारा नाम लेकर लोग
दोस्ती हमसे करते थे
पर उनकी नीयत
ईश्वर हमें समझा देते थे
ऐसे ना जाने कितने बरस गुजर गए
हम सीख सीख कर सबसे
इक सिला सा बन गए
पर हमारी फितरत ऐसी कभी नहीं थी
जहर भर कर दिल में रही कभी नहीं थी
इक दिन हम पुछे इश्वर से
मिला क्यों हमें ये सिला
हमें प्यार क्यों हुआ
हमें क्या मिला
लोगों झुठे चेहरे देख देख थक गए
दोस्त बनने वालों के...