...

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जन्म में हूं या मौत में
#यात्राकानजर,
कहां से शुरू कहां से ख़त्म
है यह जीवन यात्रा का नज़र
समझ में कुछ न आया है,
न नज़रों में कुछ फंसा पाया है।
न यादों में हमें जीना आया है,
न ख्वाब हसीं देख पाया हूं।
चाहते भी मेरी गुमराह ही रहा,
जीने का हर राह सफर छुपा रखा।
हर वक्त लगा कोई जिंदा मुर्दा हूं
कुछ...