...

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तू अदृश्य सी
तेरे होने का एहसास ,
आज भी, हर पल होता है मुझे
जब कि मैं जानता हूं कि,
शायद अब तू ना भी मिले ..
तेरे स्पर्श को महसूस ,
आज भी कर लेता हूं ,मैं
जबकि, तू कहीं नहीं है,.....
तेरी सांसो को खुद में ,
महसूस कर लेता हूं मैं
चलती है हवा
तो लगता है कि तू गुनगुनाई है
आज भी तेरी, निश्छल सी हंसी
सुनाई देती है मुझे ,
जबकि तू कहीं नहीं है...
तू अदृश्य सी है
पर ,मन की आंखों से,
दिखती है मुझे,
होंगे दिन और रात जैसे हम
जो मिलते नहीं कहीं ,
क्षितिज पर मिलने का
गुमां तो होता ही है ।
लोग कहते हैं कि, मैं दीवाना हूं,
पर यह दीवानगी भी तो
तुझी से पाई है,
मैं जानता हूं,
तू कहीं नहीं है....
                     
                    नीरा गोयल