30 views
धूप सुनहरी इश्क की,,,,,
हुवा है ज़िन्दगी में इश्क का सवेरा
कितना हसीं है मुकद्दर तेरा मेरा
कभी तो मिलेगी रौशनी हमें आकर
कब तक तड़पाएगा ये घना अंधेरा
क्यों रहे परिंदे इश्क के महदूद यहां
कभी चाँद के पार होगा हमारा बसेरा
धूप सुनहरी इश्क की भी छा जाएगी
वैदेही अभी तो हुवा है सिर्फ चंदेरा
© वैदेही
कितना हसीं है मुकद्दर तेरा मेरा
कभी तो मिलेगी रौशनी हमें आकर
कब तक तड़पाएगा ये घना अंधेरा
क्यों रहे परिंदे इश्क के महदूद यहां
कभी चाँद के पार होगा हमारा बसेरा
धूप सुनहरी इश्क की भी छा जाएगी
वैदेही अभी तो हुवा है सिर्फ चंदेरा
© वैदेही
Related Stories
57 Likes
12
Comments
57 Likes
12
Comments