...

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तेरी खुशबू
तेरी खुशबू से महक रहा है मेरा तन बदन
तेरी गुदाज बाहों के झूले में रहना है
समाना है तेरी रूह में
तुझे आगोश में लेना है
तेरे होंठो की चाशनी तेरे गालों की सुर्खी
तेरी जुल्फों को छांव में
मुझे कुछ देर ठहरना है
मुझे मालूम है तू किसी और का गहना है
मेरा हक तुझ पर नही मुझे तुझ से यह कहना है
तेरी रातें किसी और की अमानत हैं
तेरे जिस्म पर किसी और की हुकूमत है
मगर फिर भी मुझे तुझ से
मोहब्बत आजमानी है
मेरी खाक ए जिंदगी की दर्द भरी कहानी है
तेरी शफकत का शैदायी
तेरी खुशबू पर मरता हूं
मेरी जाना
में तुझ पर दिल ओ जान से मरता हूं!
© Dr.SYED KHALID QAIS