...

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नई दुनिया बसाएं
याद नही रहता अब कुछ भी,
जब से तुझे भूलाने लगी हूँ|
तेरी यादों से मुंह मोड़ कर,
खुद को ही अब रुलाने लगी हूँ|
आँसुएं बहती है, रोकती नहीं हूं,
मैं इन्हें अब बहने देती हूँ |
तेरी यादों को एक-एक करके,
अपने जहन से निकलने देती हूँ|
रहना नहीं अब उन यादों के संग,
जो जिंदगी भर रुलाए|
क्यों ना इन्हें भुलाकर हम भी अब,
अपनी एक नई दुनिया बसाएं|
© aparna