...

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रोटी
किसी को एक किसी को आधी किसी कि तो किस्मत ही थी खोटी
जो आज भी उसको ना मिल पाई रोटी।

रोया बहुत वो अंदर से और देह रही थी उसकी सूख़
आशा है मन में फिर भी कल मिट जाए शायद ये भूख।

फिर रोता देखा...