...

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सीख रही हूँ आजकल .......
बड़े नाउम्मीद कर गये
हमे भरोसे वाले
सीख रही हूँ आजकल
मै खुद , खुद को संभालना

टूटे हुए ख्वाबों को
ज़हन में रखकर
एक मुस्कान से चेहरे की
सबके वहम को टालना

सीख रही हूँ आजकल
मै खुद , खुद को संभालना

डर लगता हैं मुझे दिन के
इन उजालों से अब
रात के आगोश में बैठकर
दर्द - ए - अज़ाबों को संभालना

सीख रही हूँ आजकल
मै खुद ,खुद को संभालना

Badjubaan katib ✍️
@jazbaat