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Emptiness
बहुत विरानी सी हैं ये वादियां
हवाएं रूखी रूखी सी,
जिंदगी पिघल जाती है ढह जाती है आंखों से,
अब आंखों से बरसात बहुत अजीब होती हैं,
लिखने का अब मन नहीं करता,
लिखना सांस लेने जैसे था,
कलम को एहसास तेरा रहता है
तुम अब ख़ामोश कलम में रहने लगे हो,
बिखरे हो जिंदगी के हर कागज़ के टुकड़ों में
जिंदगी का हर टुकड़ा तुजमे भीगा भीगा सा है
अब तो श्याही में भी घुटन सी होने लगी है..
भाग रहे हैं भटक रहे हैं शहर दर शहर
सुकून के आलिंगन को,
जिस्म पिघलता रहा रूह की आंच में
वक्त जब रूह को पिघलयेगा
तब तेरा इश्क़ रूह से कुंदन सा बहेगा...
© khanabadosh_2207
हवाएं रूखी रूखी सी,
जिंदगी पिघल जाती है ढह जाती है आंखों से,
अब आंखों से बरसात बहुत अजीब होती हैं,
लिखने का अब मन नहीं करता,
लिखना सांस लेने जैसे था,
कलम को एहसास तेरा रहता है
तुम अब ख़ामोश कलम में रहने लगे हो,
बिखरे हो जिंदगी के हर कागज़ के टुकड़ों में
जिंदगी का हर टुकड़ा तुजमे भीगा भीगा सा है
अब तो श्याही में भी घुटन सी होने लगी है..
भाग रहे हैं भटक रहे हैं शहर दर शहर
सुकून के आलिंगन को,
जिस्म पिघलता रहा रूह की आंच में
वक्त जब रूह को पिघलयेगा
तब तेरा इश्क़ रूह से कुंदन सा बहेगा...
© khanabadosh_2207
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