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सुनहरी धूप
ठंड में ठिठूरती हुई दिसंबर की सुबह
में, आज मुद्दत के बाद सुनहरी धूप खिली हैं,
मेरी ख़ुशियों के वापिस लौट आने की,
मुझको इन पुरवाई यों से आज ख़बर मिली हैं।
बरसों पहले मेरे दिल के आसमां
में जो बेशुमार ग़मों की काली घटाएं घिरी थी,
आज इस धूप की पहली छटा के
साथ ही, दिल के आसमां की हर धुंध छटी हैं।
सहमी सी बैठी थी किसी कोने में जो
उम्मीद की कली, वही गुल बनके आज खिली है,
मुद्दतों बाद आज मेरे दिल को फिर से
जीने की कोई नई खूबसूरत सी वज़ह मिली हैं।
©हेमा
में, आज मुद्दत के बाद सुनहरी धूप खिली हैं,
मेरी ख़ुशियों के वापिस लौट आने की,
मुझको इन पुरवाई यों से आज ख़बर मिली हैं।
बरसों पहले मेरे दिल के आसमां
में जो बेशुमार ग़मों की काली घटाएं घिरी थी,
आज इस धूप की पहली छटा के
साथ ही, दिल के आसमां की हर धुंध छटी हैं।
सहमी सी बैठी थी किसी कोने में जो
उम्मीद की कली, वही गुल बनके आज खिली है,
मुद्दतों बाद आज मेरे दिल को फिर से
जीने की कोई नई खूबसूरत सी वज़ह मिली हैं।
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