...

4 views

काफी
भ्रम छोड़ सच्चाई देखो,दुनिया का क्या फिलहाल हाल है
तिनका तिनका कीमती हो चुका,कोई फालतू नहीं बाल है
खंधे पर हाथ है,तुम्हारा हक जताकर,जब तक में मुनाफी हूं
यहीं बात है अगर तो, तुम रहने दो,में अकेला ही काफी हूं

खुशियों की तलाश है,गुस्से, चिंता से तो सिर फट रहा है
जो पाई पाई आज जोड़ते,कल वो अपनो में ही बट रहा है
इसीलिए कर रहे हो लिहाज,तुम्हारे शौक का दुख साफी हूं
यहीं बात है अगर तो, तुम रहने दो,में अकेला ही काफी हूं

मजहब कहीं है,धर्मो में भी हो चुका बटवारा कहीं नामों से। तमाशा के दोषी,दर्शक एक है,जिन्हें मतलब नहीं कामों से
गलत तुम करो काम से,नाम,ईमान से मांगो में की माफी हूं
यहीं बात है अगर तो, तुम रहने दो,में अकेला ही काफी हूं

इच्छा है सतालो गरीबों को बस कुछ वक्तो का ही दाम है। दुपहर कितना भी जलाए सूरज,उसके बाद होना श्याम है
ज़िंदगी में रोज "और" रख कर चलों ना रखो बस काफी हूं
यहीं बात है अगर तो, तुम रहने दो,में अकेला ही काफी हूं
ADITYA PANDEY©