...

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गांव और अपना बचपन

तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है,
और तू मेरे गांव को गँवार कहता है //

ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है //
तू बच्ची को भी हुस्न - ए - बहार कहता है //

थक गया है हर शख़्स काम करते करते //
तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है।

गांव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास !!
तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है //

मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं //
तू...