...

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मेरी कलम सवाल कर रही है...
सत्ता के गलियारों में क्या बेटियाँ योहिं लाचार रहेंगी,
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं,
क्या सिर्फ खोखले वादों का प्रचार रहेंगी।
दागी और दलालों की दुकान चल रही है,
सियासत धृतराष्ट्र और न्याय की हालत ध्रोपदी सी हो रही है।
मेरी कलम एक सवाल कर रही है।

सुना है अक्सर 'मन की बात' करते है सियासत के सरदार तो,
उस आवाज़ में क्यों जिक्र नहीं किया गया,
जब बेटी लाचार हो रही थी,
सड़कों पर न्याय की गुहार में कितनी रौंदी गई थी,
उसकी आवाज़ तो हिंदुस्तान के हर कोने -कोने ...