...

12 views

परछाइयां
न शौक, न श्रृंगार ,न इच्छा न चाह हो,
न दु:ख हो न दर्द हो,कठिन भले ही राह हो,
तेरे बिना रहना कैसा?भाये भला तनहाइयां?
बनकर सदाचलता रहूं ,
अमिट तेरी परछाइयां |

कहता कौन?होता जुदा छाये में छोड़ता साथ है,
फिर कहां से वहआ जाता,जब होता प्रकाश है,
मौन हो ,बेशक चले,बन शुभ्र चांद कीछांइयां |
बनकर सदा चलता रहूं,
अमिट तेरी परछाइयां ||

फर्क कोई पड़ता नहीं ,जब तेज हवा या धूप हो,
थक जाये दुनिया भले,थकता नहीं दो टूक वो,
क्या छोड़ देता साथ वह?जब आती है
कठिनाइयां |
बनकर सदा चलता रहूं,
अमिट तेरी परछाइयां ||
अंश है वह आप का ,अपना भले न रूप हो,
मिट सकता नही वह सत्य सा,बाकी भलेसब झूठ हो,

सीख लो इससे जरा, हमसफ़र की कहानियां |
बनकर सदा चलता रहूं,
अमिट तेरी परछाइयां ||

होता है उसमें आलिंगन,पर होता नही
मुस्कान है,
गहरी मोहब्बत प्यार से ,हम कितने अनजान हैं,
हर बात से वह बेखबर, समझता नहीं रुसवाईयां |
बनकर सदा चलता रहूं
अमिट तेरी परछाइयां ||

Rambriksh, Ambedkar Nagar





© Rambriksh Ambedkar Nagar