...

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परछाइयां
न शौक, न श्रृंगार ,न इच्छा न चाह हो,
न दु:ख हो न दर्द हो,कठिन भले ही राह हो,
तेरे बिना रहना कैसा?भाये भला तनहाइयां?
बनकर सदाचलता रहूं ,
अमिट तेरी परछाइयां |

कहता कौन?होता जुदा छाये में छोड़ता साथ है,
फिर कहां से वहआ जाता,जब होता प्रकाश है,
मौन हो ,बेशक चले,बन शुभ्र चांद कीछांइयां |
बनकर सदा चलता रहूं,
अमिट तेरी परछाइयां ||

फर्क कोई पड़ता नहीं ,जब...