प्रतिशोध
हर प्रलय को शायद रोक लिया होता
क्रोध में अगर तू न बहक गया होता ।।
मोह प्रतिशोध की लीन में न रहता तो
अपनी ही अग्नि में ने झुलस रहा होता ।।
माटी के पुतले में आग की वाणी न होती
तो तू संसार के प्रकाश को...
क्रोध में अगर तू न बहक गया होता ।।
मोह प्रतिशोध की लीन में न रहता तो
अपनी ही अग्नि में ने झुलस रहा होता ।।
माटी के पुतले में आग की वाणी न होती
तो तू संसार के प्रकाश को...