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अगर इश्क करो तो ...
अगर इश्क करो तो आदाब-ए-वफ़ा भी सीखो,
ये चंद दिन की बेकरारी मोहब्बत नहीं होती।
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए,
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए।
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद,
अब मुझको नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद।
जादू वो लफ़्ज़ लफ़्ज़ से करता चला गया,
मीठा नश्तर था दिल में उतरता चला गया।
मैंने जान बचा के रखी है अपनी जान के लिए,
इतना प्यार कैसे हो गया एक अनजान के लिए।
© अल्फाज़.शायरी
ये चंद दिन की बेकरारी मोहब्बत नहीं होती।
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए,
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए।
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद,
अब मुझको नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद।
जादू वो लफ़्ज़ लफ़्ज़ से करता चला गया,
मीठा नश्तर था दिल में उतरता चला गया।
मैंने जान बचा के रखी है अपनी जान के लिए,
इतना प्यार कैसे हो गया एक अनजान के लिए।
© अल्फाज़.शायरी
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