ग़ज़ल
अदब से सर को झुका रहा हूँ ।
तुम्हारी महफ़िल से जा रहा हूँ ।।
मिलेगी मंज़िल पता नहीं पर ।
क़दम बराबर बढ़ा रहा हूँ...
तुम्हारी महफ़िल से जा रहा हूँ ।।
मिलेगी मंज़िल पता नहीं पर ।
क़दम बराबर बढ़ा रहा हूँ...