मोहब्बत
मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी है
जो दिल में है उसे आँखों से कहलाना ज़रूरी है
उसूलों पर जहाँ आँच आए टकराना ज़रूरी है
जो ज़िंदा हो तो फिर ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है
नई उम्रों की ख़ुद-मुख़्तारियों को कौन समझाए
कहाँ से बच के चलना है...
जो दिल में है उसे आँखों से कहलाना ज़रूरी है
उसूलों पर जहाँ आँच आए टकराना ज़रूरी है
जो ज़िंदा हो तो फिर ज़िंदा नज़र आना ज़रूरी है
नई उम्रों की ख़ुद-मुख़्तारियों को कौन समझाए
कहाँ से बच के चलना है...