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अलविदा 2023...
अब यादों और बातों में होगा।
यह साल अब किसी के अल्फाजों तो किसी की किताबों में होगा।
इंसानी जीवन में यकीन, धैर्य औरइ ंतजार खोया मिलेगा।
कभी शिकन, शिकवा तो कभी सिला मिलेगा।
कर सको तो खुद पर तो एतबार करना।
जमीं, आसमां परिंदे, पौधे और बेजुबानों से भी हो सके तो प्यार करना।
मैंने सिर्फ चलने की ठानी है,
उसका वजूद परिंदे, पौधे और बेजुबानों और इंसानों में भी है।
अल्ला, ईश्वर, खुदा जो भी कहते हों,
एक आस्था उसमें भी मानी है,
वही बताएगा मेरी मंज़िल किस और है,
मैंने तो सिर्फ नेकी की डगर थामी है।
मुझे बेहतर बनाने की कशिश में,
परिंदे, पौधे, बेजुबानों और इंसानों में,
कोई खुदा सा ही मिलता रहा गई।
सभी का तहे दिल से शुक्रिया!
यहां तक का सफर बेहतरीन रहा है।
✍️मनीषा मीना