...

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चोट मन का
#अपराध
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है

चुप रह वो एक और गुनाह करता है
अपना अस्तित्व स्वयं खोया करता है
दर्द को सह कर मुश्किल हालात पैदा करता है

सब सह कर वो रिश्ता निभाया करता है
बार बार चोट खाकर मुस्कुराया करता है...