...

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कश्मकश
किसी के आने की खुशी नही,
न जाने का है गम।
जब से गई तू छोड़ के,
रोए नहीं हैं हम।
मिलेगी गोद न कोई ,
न कोई अश्क थामेगा।
फिर न पाएंगे संभल,
गर रो दिए जो हम।
तू ही तो मेरी स्याही थी,
और तू ही थी कलम।
जो तू ही न रही तो हम,
क्या ही लिखें नज़म।
माना कि मैं ही था गलत,
पर चांद था तेरा।
तू रोशनी जो ले गई,
भला किस काम के अब हम।।
🪷🪷❤️‍🩹🪷🪷
–ध्रुव


© Dhruv