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कैसी स्त्री सुवरी जात का पात्र बताई गई है।।
जो स्त्री अपना नाम भूलकर,
अपने इन्द्रियों को खोकर ,
वसना भोग का आहार बनकर,
योनि संकल्प तोड़कर,
चूत का आहार प्रदर्शन कर,
वसना माई होने पर जिस्म प्रचार करने लगे,
जिनका अंग सक्रमित हो गया हो,
जिनकी योनि गन्द देने लगी हो,
जिनका मल मूत्र यौन संबंध अन्य व्यक्ति के साथ हुआ हो।।
जो अपना कर्तव्य त्याग बलिदान दे चुकी है।।
जो स्वाभिमान को अर्थ साधना पर सेकती है,
जो अर्थ प्राप्ति हेतु खुद का आस्तित्व मिटा देती है,
जो अपना भोग हर यक्ति को देती है,
जिनकी रोटी उनके जिस्म की अग्नि पर सिकती है,
जिनका बतलभ केवल अग्नि अर्थ साधना है,
वो किस भेष और जाति की है,
विचार ही मंच का पहला सवाल है,
और यह मंच ही श्रृष्टि जहा स्त्री कोसी यह पता ला गाना असंभव है मगर फिर भी श्रृष्टि कलंकित के काई सवालों से पाता लगाने कि लेखक द्वारा अनन्त प्रयास किया गया है।।
जो मांस मछली खाएं,
उनकी योनि अति भयानक रंग लेती है,
और जो मंदिरा का स्वाद ले उनकी तुच्य बताई गई क्या यह साही है।।
जो अपनी जुबान ना रख पाए।।
जो विचार सकृमित हो।।
#सकृमितधातुसतरी
#सकृमण
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