...

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काश !
तुझसे दूर हू
इसीलिए मजबूर हू !
पानी की बूंदों की तरह तुझसे मिलकर काश
समंदर बन पाता...

पास जब भी तेरे जाता हू,
खुद को कमज़ोर पाता हू !
कुदरत के खेल को काश समझ
हुक्म का इक्का बन जाता...

रात मे तेरा तड़पना ,
जैसे किसी रूह का शरीर मे होना!
अन्तर मन्तर जंत्र से काश की
बावा या हकीम बन तेरा श्राप मारता...

उस मंजर मे दर्द से करहारना,
माँ शब्द को छोड कुछ नहीं समझ पाता हू!
कुछ ग्रंथ पढ़कर काश की
मनोचिकित्सक बन तेरे मन की बात जान पाता...

काश तू मेरा भाई ना होता,
मैं तेरा भाई होता !
तेरा सब कुछ मेरा और मेरा सब कुछ तेरा
काश मैं भगवान बन जाता...

काश....💞💑🧑🏾‍🤝‍🧑🏾
© Amusing_saha