...

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उलझन
करना था कुछ और,कर कुछ और रहा हूँ।
जाना था कन्ही और,चल कन्ही और रहा हूँ।
कभी कभी सोचता हुँ ,ये मै हुँ या किसी का वहम कोई,
हासिल है कुछ और,आरजू कुछ और कर रहा हूँ।
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© amitsingshayar_