...

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सुकून
शवेत चादर जो ओढ़ी पहाड़ों ने
वैसा कुछ तेरा सुरूर है
तू इश्क नहीं तू सुकून है,

छाई है घटा ये आसमान में
सिर पर सवार तेरा ही जुनून है
आगे रब जाने उसको क्या मंजूर है,

फूल खिला हो जैसे बागों में
वैसा चंचल सा तेरा स्वरूप है
देख कर तुझे मिलता सुकून है।

© sharma