मैं आब-ओ-ताब हूं सहरा की,,
मैं आब-ओ-ताब हूं सहरा की
मुझे धुप की सोहबत भाती हैं
मैं विरान किसी जंगल सा हूं
एक कोयल मुझमें गाती है
मैं सरमाया हूं अंधेरों का
कई रातें मुझमें समाती हैं
हैं जन्नत मुझमें जहन्नुम सी
जो रोती हुई मुस्कुराती हैं
मेरे बिस्तर कोरे ...
मुझे धुप की सोहबत भाती हैं
मैं विरान किसी जंगल सा हूं
एक कोयल मुझमें गाती है
मैं सरमाया हूं अंधेरों का
कई रातें मुझमें समाती हैं
हैं जन्नत मुझमें जहन्नुम सी
जो रोती हुई मुस्कुराती हैं
मेरे बिस्तर कोरे ...