मंज़िल बुला रही
देख तुम्हें मंज़िल तेरी कबसे है बुला रही,
थक गया है तू मगर ये हार तेरी है नहीं,
रास्तो कि पहचान कर,
कुछ अलग तू काम कर,
ये तो बस शुरुआत है,
मंज़िल अभी पास नहीं ,
अपने छोटे - छोटे से प्रयासो से,
उम्मीदों कि बातों से,
खुद को तू मजबूत कर,
देख...