शिव से मैं
जब से जानना देखना और सवाहाना शुरू किया है न जाने क्या क्या नहीं देखा है, पर,
सुकून सिर्फ शित देख कर मिला है,।-(1)
जब से चलना शुरू किया है न जाने कहाँ-कहाँ नहीं गया मैं पर,
जब पहुंचा बाब के दरबार तब मंजिल मिली ऐसा एहसास हुआ है।—(2)
बचपन से चीजे पकड़ उठा कर रखता रहा मगर, जब स्पर्श मेरा मेरे महादेव से हुआ तो एसा लगा है कि मैने अपने आप को छुआ है।-(3)
वैसे तो दिनभर कुछ-न-कुद्ध कहता ही रहता हूँ, मगर जब नाम महाकाल का जपना शुरू किया है मानो मृत्यू , लज्जा और भय पर मैने अपनी इच्छा का...
सुकून सिर्फ शित देख कर मिला है,।-(1)
जब से चलना शुरू किया है न जाने कहाँ-कहाँ नहीं गया मैं पर,
जब पहुंचा बाब के दरबार तब मंजिल मिली ऐसा एहसास हुआ है।—(2)
बचपन से चीजे पकड़ उठा कर रखता रहा मगर, जब स्पर्श मेरा मेरे महादेव से हुआ तो एसा लगा है कि मैने अपने आप को छुआ है।-(3)
वैसे तो दिनभर कुछ-न-कुद्ध कहता ही रहता हूँ, मगर जब नाम महाकाल का जपना शुरू किया है मानो मृत्यू , लज्जा और भय पर मैने अपनी इच्छा का...