...

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शिव भजन
हे! काशीपति है नमन तुम्हारे चरणों में,
तुम सदा विराजो मेरे अंतरमन में।

भक्ति की अविरल धारा रहे बहती सदा मेरे अंतःकरण में,
बाधा ना आए कभी तुम्हारे नाम सुमिरन में।

मणकों की माला ना उठाई मैंने जीवन में,
सांसों की माला लगाई मैंने तो नाम रटन में।

हे उमापति है वंदन तुम्हारे चरणों में,
पग पग रहना साथ जीवन में।

अंत समय में शरणागति देना,
बुलवाकर अपने गणों के साथ,
आत्मा को मेरी लगने ना देना यमदूतों का हाथ,
वरना जाएगी लाज तुम्हारी मेरे नाथ।

कहे 'कल्याणी' मेरी छोटी सी है विनती,
भूल न जाना रखना सदा अपने हृदय में।
© kalyani