थोड़े बदले हुए है
ना ख़वाब सस्ते हुए,
ना हौसले टूटे हैं,
जो शाम को भरा था,
हम तो उसी जाम में डूबे हुए हैं,
वो आए या कोई और अब फ़र्क नहीं पड़ता,
दीदार ए हसरत ने...
ना हौसले टूटे हैं,
जो शाम को भरा था,
हम तो उसी जाम में डूबे हुए हैं,
वो आए या कोई और अब फ़र्क नहीं पड़ता,
दीदार ए हसरत ने...