मोक्ष।
विडम्बनाऔ में घिरा मनुष्य
तलाश रहा मोक्ष है,
भाग रहा है अंत से
ये अंत ही तो मोक्ष है।
बो रहा वृक्ष खार का
आश अभी भी फल की है।
है बान जो आज के
चिता यही कल की है।
मान रहे जो...
तलाश रहा मोक्ष है,
भाग रहा है अंत से
ये अंत ही तो मोक्ष है।
बो रहा वृक्ष खार का
आश अभी भी फल की है।
है बान जो आज के
चिता यही कल की है।
मान रहे जो...