बेवफाई
मैं उसकी बेवफाई अब दीवारों पे लिखने लगा हु
सियाहि से नही अब खून से लिखने लगा हु
बंद करके कमरा पागलों सा बैठने लगा हु
उसकी यादों का मातम मनाने लगा हु
मैं समझता हु और समझने लगा हु बेवफाई उसकी
बस अब अपने दिल को समझाने में लगा हु
वो करता है जाग कर सारी रात बातें रकीब से
बस यही बात...
सियाहि से नही अब खून से लिखने लगा हु
बंद करके कमरा पागलों सा बैठने लगा हु
उसकी यादों का मातम मनाने लगा हु
मैं समझता हु और समझने लगा हु बेवफाई उसकी
बस अब अपने दिल को समझाने में लगा हु
वो करता है जाग कर सारी रात बातें रकीब से
बस यही बात...