नारी सशक्तिकरण
जागो जागो जागो
अपने आप को पहचानो
पंछी बन ऊंची उड़ान को तय करना है
हमे स्वयं ही खुद में साहस भरना है
कृष्ण नही आएंगे तुम्हारे चीर को बचाने
तुम्हे खुद ही काली का रूप धरना है
तुम्हारी हर राह में हरेक परिंदा मुँह मारेगा
तुम्हे निर्भीकता के साथ उसके पर को कुतरना है
क्रोध और ममता का समागम है तुझमे
धरती से आसमान की बुलंदियों को चूमने का विभव है तुझमे
तू शांत है तो शोर भी है
तू घटा की घनघोर भी है
तुझसे ही चलता ये समस्त जग
तू ही ममतामयी भाव विभोर भी है
© Bhanu
अपने आप को पहचानो
पंछी बन ऊंची उड़ान को तय करना है
हमे स्वयं ही खुद में साहस भरना है
कृष्ण नही आएंगे तुम्हारे चीर को बचाने
तुम्हे खुद ही काली का रूप धरना है
तुम्हारी हर राह में हरेक परिंदा मुँह मारेगा
तुम्हे निर्भीकता के साथ उसके पर को कुतरना है
क्रोध और ममता का समागम है तुझमे
धरती से आसमान की बुलंदियों को चूमने का विभव है तुझमे
तू शांत है तो शोर भी है
तू घटा की घनघोर भी है
तुझसे ही चलता ये समस्त जग
तू ही ममतामयी भाव विभोर भी है
© Bhanu