...

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रस्साकशी

ज़िन्दगी है जैसे एक रस्साकशी,
एक तरफ़ प्यार, त्याग, वफ़ा बसी।
दूसरी तरफ़ अहंकार, गुस्सा, नफ़रत खड़ी,
दोनों ने पकड़ ली ज़िन्दगी की डोरी बड़ी।

दोनों में संतुलन है, खेल चल रहा,
ख़ुशियों और दुखों का झूला झूल रहा।...