गाँव और मैं
🌾🌾🌾 🌴🌴🌴
हम खुशनसीब हैं कि हमने वो दौर भी देखा
कच्चे घरों को दीयों से रोशन होते देखा
और घर के चूल्हे दूसरों की आँच से सुलगते देखे
सिर्फ़ पगड़डियों से गुजरते राहगीरों को देखा
कुंओं से प्यास बुझते और रिश्तों में रस देखा
पोष माह की रातों में ठिठुरता...
हम खुशनसीब हैं कि हमने वो दौर भी देखा
कच्चे घरों को दीयों से रोशन होते देखा
और घर के चूल्हे दूसरों की आँच से सुलगते देखे
सिर्फ़ पगड़डियों से गुजरते राहगीरों को देखा
कुंओं से प्यास बुझते और रिश्तों में रस देखा
पोष माह की रातों में ठिठुरता...