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फरेबी इश्क
#अलविदा
कुछ ख्वाब अभी आँखो से ओझल हुए है,,,
कुछ लम्हें,,यादो मे आने को बे-कल हुए हैं,,
आइना-ए- हकीकत,,टुट कर बिखर गया,,
फरेबी इश्क के,,सारे दांव मुकम्मल हुए हैं,,
शौक से वो सीतम ढाते रहे,,मोहब्बत बनकर,,
महबूब के दर,,हमारे अरमानो के मक्तल हुए हैं,,
अलविदा कह दें,,,या इस मोड़ पर ठहर जाए,,,
जीस्त के दर-ओ-दिवार भी दर्द से पागल हुए हैं,,,
© kuhoo
कुछ ख्वाब अभी आँखो से ओझल हुए है,,,
कुछ लम्हें,,यादो मे आने को बे-कल हुए हैं,,
आइना-ए- हकीकत,,टुट कर बिखर गया,,
फरेबी इश्क के,,सारे दांव मुकम्मल हुए हैं,,
शौक से वो सीतम ढाते रहे,,मोहब्बत बनकर,,
महबूब के दर,,हमारे अरमानो के मक्तल हुए हैं,,
अलविदा कह दें,,,या इस मोड़ पर ठहर जाए,,,
जीस्त के दर-ओ-दिवार भी दर्द से पागल हुए हैं,,,
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